ज्योतिष

चन्द्र का लाल किताब के अनुसार विभिन्न भावों में फल

Written by Bhakti Pravah

चन्द्र का पहले भाव में फल : सामान्य तौर पर कुण्डली का पहला घर मंगल और सूर्य के प्रभाव के अंतर्गत आता है। जब चंद्रमा यहां स्थित हो तो यह भाव मंगल, सूर्य और चंद्रमा के संयुक्त प्रभाव में होगा। ये तीनों आपस में मित्र हैं और तीनो यहां की स्थिति के अनुसार परिणाम देंगे। सूर्य और मंगल इस घर में स्थित चंद्रमा को पूर्ण सहयोग देंगे। ऐसा जातक रहमदिल होगा और उसके भीतर उसकी मां के सभी लक्षण और गुण मौजूद होंगे। वह या तो भाइयों में बडा होगा या फिर उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जाता होगा। जातक पर उसकी मां का आशिर्वाद हमेशा रहता है साथ ही वह अपनी मां को प्रसन्न रखता है ऐसा करने से वह उन्नति करता है और उसे हर प्रकार से समृद्धि मिलती है। बुध से सम्बंधित चीजें और रिश्तेदार जैसे साली और हरा रंग आदि जो चंद्रमा के लिए हानिकार है, जातक के लिए भी प्रतिकूल प्रभाव साबित होगें इसलिए बेहतर है उन लोगों से दूर रहें। दूध से खोया बनाना या लाभ के लिए दूध बेचना आदि कृत्य पहले भाव में स्थित चंद्रमा को कमजोर करते हैं इसका मतलब यदि जातक स्वयं भी इस प्रकार के कामों सें संलग्न होता है तो जातक का जीवन और सम्पत्ति नष्ट होने लगती है। ऐसे में जातक को दूध और पानी मुफ्त में बांटना चाहिए इससे आयु बढती और चारो ओर से समृद्धि आती है। ऐसा करने से जातक को 90 साल की दीर्घायु मिलती है और उसे सरकार से सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है।

उपाय:
(1) 24 से 27 वर्ष की आयु के मध्य शादी नहीं करनी चाहिए, या तो 24 साल के पहले अथवा 27 साल के बाद ही शादी करनी चाहिए।
(2) 24 से 27 वर्ष की आयु के मध्य अपनी कमाई से घर का निर्माण नहीं करना चाहिए।
(3) हरे रंग और पत्नी की बहन अर्थात शाली से दूर रहना चाहिए।
(4) घर में टोटी के साथ एक चांदी के बर्तन या केतली न रखें।
(5) यथा सम्भव बरगद की जड़ में पानी डालें।
(6) चारपाई के चारों पायों में तांबें की कीलें ठोके।
(7) अपने बच्चों के कल्याण के लिए जब भी एक नदी पार करें, हमेशा उसमें एक सिक्का डालें।
(8) हमेशा अपने घर में चांदी की एक थाली रखें।
(9) पानी या दूध पीने के लिए हमेशा चांदी के बर्तन का प्रयोग करें, कांच के बने बर्तन के उपयोग से बचें।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का दूसरे भाव में फल : दूसरे भाव चंद्रमा स्थित होने पर वह भाव बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव में होगा। क्योंकि दूसरा घर बृहस्पति का पक्का घर होता है और दूसरी राशि बृषभ का स्वामी शुक्र होता है। यहां स्थित चंद्रमा बहुत अच्छे परिणाम देता है। चंद्रमा इस घर में बहुत मजबूत हो जाता है क्योंकि उसे शुक्र के खिलाफ बृहस्पति का अनुकूल समर्थन मिल जाता है इस कारण यहां का चंद्रमा अच्छे परिणाम देता है। ऐसे में जातक के बहनें नहीं होतीं लेकिन निश्चित रूप से भाइयों की प्राप्ति होती है। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो जातक की पत्नी के भाई अवश्य होते हैं। जातक को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा जरूर मिलता है। ग्रहों की स्थिति जो भी हो लेकिन यहां स्थित चंद्रमा जातक के वंश को जरूर बढाता है। जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है जिससे उसके भाग्योदय में सहयोग मिलता है। चंद्रमा की चीजों से जुड़े व्यवसाय लाभप्रद साबित होंगे। जातक एक प्रतिष्ठित शिक्षक भी हो सकता है। बारहवें भाव में स्थित केतू यहं के चंद्रमा को ग्रहण लगाने वाला रहेगा जो जातक को अच्छी शिक्षा या पुत्र से वंचित कर सकता है।

उपाय:
(1) घर के भीतर मंदिर का होना जातक की पुत्र प्राप्ति में बाधक हो सकता है।
(2) चंद्रमा से सम्बंधित चीजें जैसे चांदी, चावल, घर की कच्ची फर्श, माँ और बुजुर्ग महिलाएं तथा उनका आशीर्वाद जातक के लिए बहुत भाग्यशाली रहेंगे।
(3) लगातार 43 दिनों तक कन्याओं (छोटी लड़कियों) को हरा कपडा बांटें।
(4) चंद्रमा से सम्बंधित चीजें जैसे चांदी का एक चौकोर टुकड़ा अपने घर की नीव में दबाएं।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का तीसरे भाव में फल : तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा पर मंगल और बुध का भी प्रभाव होता है। यहां स्थित चंद्रमा लंबा जीवन और अत्यधिक धन देने वाला होता है। तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा के कारण यदि नवमें और ग्यारहवें घर में कोई ग्रह न हों तो मंगल और शुक्र अच्छे परिणाम देंगें। जातक शिक्षा और सीखने की प्रगति के साथ, जातक के पिता की अर्थिक स्थिति खराब होगी लेकिन इससे जातक की शिक्षा और सीखने की प्रगति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा। यदि केतु कुण्डली में किसी शुभ जगह पर है और चंद्रमा पर कोई दुश्प्रभाव नहीं डाल रहा है तो जातक की शिक्षा अच्छे परिणाम देने वाली और हर तरीके में फायदेमंद साबित होगी। यदि चंद्रमा हानिकर है, तो यह बडी धनहानि और खर्चे का कारण हो सकता है यह घटना नवमें भाव में बैठे ग्रह की दशा या उम्र में हो सकती है।

उपाय:
(1) पुत्री के जन्म के बाद चन्द्रमा से सम्बंधित चीजें जैसे चांदी और चावल आदि का दान करें तथा पुत्र के जन्म के बाद सूर्य से सम्बंधित चीजें जैसे गेहूं और गुड़ आदि का दान करें।
(2) अपनी बेटी के पैसे और धन का उपयोग न करें।
(3) आठवें घर में स्थित बुरे ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए, मेहमानों और दूसरों को खुलकर दूध और पानी बांटें।
(4) दुर्गा देवी की पूजा करें तथा कन्याओं को भोजन और मिठाई देकर उनके पांव छुएं और आशिर्वाद लें।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का चौथे भाव में फल : चौथे भाव में स्थित चंद्रमा पर केवल चंद्रमा का ही पूर्णरूपेण प्रभाव होता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनो का स्वामी होता है। यहां चन्द्रमा हर प्रकार से बहुत मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है। चंद्रमा से संबन्धित वस्तुएं जातक के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं। मेहमानों को पानी की के स्थान पर दूध भेंट करें। मां या मां के जैसी स्त्रियों का पांव छूकर आशिर्वाद लें। चौथा भाव आमदनी की नदी है जो व्यय बढानें के लिए जारी रहेगी। दूसरे शब्दों में खर्चे आमदनी को बढाएंगे। जातक प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति होने के साथ-साथ नरम दिल और सभी प्रकार से धनी होगा। जातक को अपनी माँ के सभी लक्षण और गुण विरासत में मिलेंगे और वह जीवन की समस्याओं का सामना किसी शेर की तरह साहसपूर्वक करेगा। जातक सरकार से सहयोग और सम्मान प्राप्त करेगा साथ में वह दूसरों को शांति और आश्रय प्रदान करेगा। जातक निश्चित तौर पर अच्छी शिक्षा प्राप्त करेगा। यदि बृहस्पति 6 भाव में हो और चंद्रमा चौथे भाव में तो जातक को पैतृक व्यवसाय फायदा देगा। यदि जातक के पास कोई अपना कीमती सामान गिरवी रख जाएगा तो वह उसे मांगने के लिए कभी नहीं आएगा। यदि चंद्रमा चौथे भाव में चार ग्रहों के साथ हो तो जातक आर्थिक रूप से बहुत मजबूत और अमीर होगा। पुरुष ग्रह जातक की मदद पुत्र की तरह करेंगे और स्त्री ग्रह पुत्रियों की तरह।

उपाय:
(1) लाभ कमाने के लिए दूध का खोया बनाना अथवा दूध बेचना आदि कार्य से आमदनी, जीवन के विस्तार और मानसिक शांति पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा अतः इससे बचें।
(2) व्यभिचार और अनैतिक सम्बंध जातक की प्रतिष्ठा और आर्थिक मामलों के लिए हानिकारक होगें इसलिए इनसे बचाव जरूरी है।
(3) अधिक खर्च, अधिक आय।
(4) किसी भी शुभ या नया काम शुरू करने से पहले, घर में दूध से भरा कोई घड़ा या कनस्तर रखें।
(5) दशम भाव में स्थित बृहस्पति के दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए, जातक को अपने दादाजी के साथ पूजा स्थान में जाकर भगवान के चरणों में माथा रखकर चढ़ावा चढ़ाएं।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का पांचवें भाव में फल : पांचवें भाव में स्थित चंद्रमा के परिणाम में सूर्य, केतू और चंद्रमा का प्रभाव रहेगा। जातक हमेशा सही तरीके से पैसा कमाने की कोशिश करेगा, वह कभी भी गलत तरीके नहीं अपनाएगा। वह व्यापार में तो अच्छा नहीं कर पाएगा लेकिन निश्चित रूप से सरकार की ओर से सम्मान और सहयोग प्राप्त करेगा। उसके द्वारा समर्थित कोई भी जीत जाएगा। यदि केतू सही स्थान पर बैठा है और फायदेमंद है तो जातक के पांच पुत्र होंगें चाहे चंद्रमा किसी अशुभ ग्रह के प्रभाव में ही क्यों न हो। अपनी शिक्षा और सीख के कारण जातक दूसरों के कल्याण के लिए अनेक उपाय करेगा लेकिन दूसरे उसके लिए अच्छा नहीं करेंगे। अगर जातक लालची और स्वार्थी हो जाता है तो वह नष्ट हो जाएगा। यदि जातक अपनी योजनाओं को एक गुप्त रखने में विफल रहता है, उसके अपने ही लोग उसे नुकसान पहुंचाएंगे।

उपाय:
(1) अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग न करें ऐसा करना मुशीबतों को निमंत्रण देना होगा।
(2) लालची और स्वार्थी बनने से बचें।
(3) दूसरों के साथ छल और बेईमानी न करें, इसका आप पर ही प्रतिकूल असर होगा।
(4) किसी के खिलाफ कुछ करनें से पहले किसी और से सलाह जरूर लें इसका आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आप 100 सालों तक जिएंगे।
(5) लोगों की सेवा करें इससे आपकी आमदनी और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का छठें भाव में फल : यह भाव बुध और केतु से प्रभावित होता है। इस घर में स्थित चंद्रमा दूसरे, आठवे, बारहवें और चौथे घरों में बैठे ग्रहों से प्रभावित होता है। ऐसा जातक बाधाओं के साथ शिक्षा प्राप्त करता है और अपनी शैक्षिक उपलब्धियों का लाभ उठाने के लिए उसे बहुत संघर्ष करना पडता है। यदि चंद्रमा छठवें, दूसरे, चौथे, आठवें और बारहवें घर में होता है तो यह शुभ भी होता है ऐसा जातक किसी मरते हुए के मुंह में पानी की कुछ बूंदें डालकर उसे जीवित करने का काम करता है। यदि छठवें भाव में स्थित चंद्रमा अशुभ है और बुध दूसरे या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति पाई जाएगी। ठीक इसी तरह यदि चन्द्रमा अशुभ है और सूर्य बारहवें घर में है तो जातक या उसकी पत्नी या दोनो ही आंख के रोग या परेशानियों से ग्रस्त होंगे।

उपाय:
(1) अपने पिता को अपने हाथों से दूध परोसें।
(2) रात के समय दूध कभी भी न पिएं। लेकिन दिन के समय दूध उपयोग किया जा सकता है। रात के समय दही और पनीर का सेवन किया जा सकता है।
(3) दूध का दान न करें। केवल पूजा के धार्मिक स्थानों पर दूध दिया जा सकता है।
(4) जातक अस्पताल या श्मशान भूमि में कुआं खुदवाएं।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का सातवें भाव में फल : सातवां घर शुक्र और बुध से संबंधित होता है। जब चंद्रमा इस भाव में स्थित होता है तो परिणाम शुक्र, बुध और चंद्रमा से प्रभावित होता है। शुक्र और बुध मिलकर सूर्य का प्रभाव देते हैं। पहला भाव सातवें को देखता है नतीजन पहले घर से सूर्य की किरणे सातवें भाव में बैठे चंद्रमा को सकारात्म रूप से प्रभावित करती हैं जिसका मतलब है कि चंद्रमा से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों लाभकारी और अच्छे परिणाम मिलेंगे। शैक्षिक उपलब्धियां पैसा या धन कमाने के लिए उपयोगी साबित होंगी। उसके पास जमीन जायदाद हो या न हो लेकिन उसके पास नकद निश्चित रूप से हमेशा रहेगा। उसके पास कवि या ज्योतिषी बनने की अच्छी योग्यता होगी। अथवा वह चरित्रहीन हो सकता है और रहस्यवाद और अध्यात्मवाद को बहुत चाहता होगा। सातवें भाव में स्थित चंद्रमा जातक की पत्नी और मां के बीच अर्थ संघर्ष देता है जो दूध के व्यवसाय में प्रतिकूल प्रभावी होता है। ऐसे में जातक अगर मां का कहना नहीं मानता तो उसे तनाव और परेशानियों का सामना करना पडता है।

उपाय:
(1) 24वें वर्ष में शादी न करें।
(2) अपनी माँ को हमेशा खुश रखें।
(3) लाभ कमाने के लिए कभी भी दूध या पानी न बेचें।
(4) खोया बनाने के लिए दूध को न जलाएं।
(5) सुनिश्चित कर लें कि आपकी पत्नी शादी में अपने मायके से अपने वजन के बराबर चांदी और चावल लाए।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का आठवें भाव में फल : यह भाव मंगल और शनि के अंतर्गत आता है। यहां पर स्थित चंद्रमा जातक की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लेकिन यदि शिक्षा अच्छी है तो जातक की मां का जीवन छोटा होता है। लेकिन अक्सर यही देखने को मिलता है कि जातक शिक्षा और माँ को खो देता है। हालांकि, यदि बृहस्पति और शनि दूसरे भाव में हों तो सातवें घर में बैठे चंद्रमा का बुरा कम हो जाएगा। इस भाव में स्थित चन्द्रमा जातक को पैतृद सम्पत्ति से वंचित करता है। यदि जातक की पैतृक सम्पत्ति के पास कोई कुंआ या तालाब होता है तो जातक के जीवन में चंद्रमा के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते हैं।

उपाय:
(1) जुआ और अनैतिकता से बचें।
(2) अपने पूर्वजों के लिए श्रद्धा समारोह आयोजित करें।
(3) कुएं को छत से ढकने के बादघर का निर्माण न करें।
(4) बुजुर्गों और बच्चों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
(5) श्मशान भूमि की सीमा के भीतर स्थित नल या कुंए से पानी लाएं और अपने घर के भीतर रखें। यह सप्तम भाव में स्थित चंद्रमा की सभी बुराइयों दूर करता है।
(6) पूजा स्थल में चना और दाल दान करें।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का नौवें भाव में फल : नौवां घर बृहस्पति, से सम्बंधित होता है जो चंद्रमा का परममित्र है। इसलिए जातक इन दोनों ग्रहों के लक्षण और सुविधाओं को आत्मसात करता है साथ ही अच्छे आचरण, कोमक हृदय, मन से धार्मिक, और धार्मिक कृत्यों तथा तीर्थयात्राओं से प्रेम करने वाला होता है। वह 75 वर्षों तक जीवित रहता है। पाचवें घर में स्थित शुभ ग्रह संतान सुख में वृद्धि और धार्मिक कामों में गहन रुचि विकसित करता है। तीसरे भाव में स्थित मित्र ग्रह पैसे और धन में काफी वृद्धि करता है।

उपाय:
(1) घर में चंद्रमा से संबंधित चीजें रखें। जैसे अलमारी में चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।
(2) मजदूरों को दूध परोसें।
(3) साँप को दूध पिलाएं और मछली के लिए चावल डालें।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का दसवें भाव में फल : दसवां घर हर तरीके में शनि द्वारा शासित है। यह घर चौथे घर के द्वारा देखा जाता है, जो चंद्रमा द्वारा शासित होता है। इसलिए इस घर में स्थित चंद्रमा जातक को 90 साल की लंबी आयु सुनिश्चित करता है। चंद्रमा और शनि आपस में शत्रु हैं इसलिए, तरल रूप में दवाओं का सेवन जातक को हमेशा हानिकारक साबित होंगी। रात में दूध का सेवन जहर के समान कार्य करता है। यदि जातक चिकित्सक है तो उसके द्वारा रोगी को दी जाने वाली दवाएं यदि शुष्क हों तो मरीज पर इलाज का जादुई प्रभाव पड़ेगा। यदि जातक सर्जन है तो वह सर्जरी के माध्यम से वह महान धन और प्रसिद्धि अर्जित करेगा। यदि दूसरा और चौथा भाव खाली हो तो जातक पर पैसों की बरसात होगी। यदि शनि पहले भाव में स्थित हो तो विपरीत लिंगी के कारण जातक का विनाश हो जाता है, विशेषकर विधवा जातक के विनाश का कारण बनती है। शनि से संबंधित वस्तुएं और व्यवसाय जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा।

उपाय:
(1) धार्मिक स्थानों की यात्रा भाग्य वृद्धि में सहायक होगी।
(2) बारिस अथवा नदी का प्राकृतिक जल किसी कंटेनर (कनस्तर) में भर कर अपने घर के भीतर 15 साल तक रखें। यह दसम भाव में स्थित चंद्रमा के विषाक्त और बुरे प्रभाव को धो देगा।
(3) रात में दूध न पिएं।
(4) दुधारू पशु न तो आपके घर में लंबे समय तक रह पाएंगे और न ही वो आपके लिए फायदेमंद और शुभ साबित होंगे।
(5) शराब, मांस, और व्यभिचार से बचें।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का ग्यारहवें भाव में फल : यह घर बृहस्पति और शनि से पूरी तरह प्रभावित होता है। इस घर में स्थित हर ग्रह अपने शत्रु ग्रहों और उनके साथ जुडी बातों को नष्ट कर देता है। इस प्रकार यहां स्थित चंद्रमा अपने शत्रु केतू की चीजों को नष्ट कर देता है जैसे जातक के बेटे आदि को। यहां चंद्रमा को अपने शत्रुओं शनि और केतू की संयुक्त शक्ति का सामना करना पडता है, जिससे चंद्रमा कमजोर होता है। ऐसे में यदि केतू चौथे भाव में स्थित है तो जातक की मां का जीवन खतरे में पडेगा। बुध से जुडे व्यापार भी हानिप्रद साबित होंगे। शनिवार के दिन से घर का निर्माण या घर की खरीदी चंद्रमा के शत्रु को बलवान बनाते हैं जो जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा। आधी रात के बाद कन्यादान और शुक्रवार के दिन किसी भी शादी समारोह में शामिल होना जातक के भाग्य को नुकसान पहुंचाएगा।

उपाय:
(1) भैरव मंदिर में दूध बांटे और दूसरों को उदारतापूर्वक दूध का दान करें।
(2) सुनिश्चित करें कि दादी अपने पोते को न देखने पाए।
(3) दूध पीने से पहले सोने के एक टुकड़े को आग में गरम करें और दूध के गिलास में डालकर बुझाएं, इसके बाद दूध पिएं।
(4) 125 पीस पेड़े (मिठाइयां) नदी में बहाएं।

[divider style=”dotted” top=”10″ bottom=”10″]

चन्द्र का बारहवें भाव में फल : यह घर चंद्रमा के मित्र बृहस्पति का है। यहाँ स्थित चंद्रमा मंगल और मंगल से संबंधित चीजों परर अच्छा प्रभाव डालता है, लेकिन यह अपने दुश्मन बुध और केतु तथा उनसे संबंधित चीजों को नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए मं गल जिस भाव में बैठा है उससे जुडा व्यापार और चीजें जातक के लिए अत्यधिक लाभकारी रहेंगी। ठीक इसी तरह बुध और केतू जिस घर में बैठे हैं उससे जुडा व्यापार और चीजें जातक के लिए अत्यधिक हानिकारक रहेंगी। बारहवें घर में स्थित चंद्रमा जातक के मन में अप्रत्याशित मुसीबतों और खतरों को लेकर एक साधारण सा डर पैदा करता है। जिससे जातक की नींद और मानसिक शांति भंग होती है। यदि चौथे भाव में स्थित केतू कमजोर और पीडित हो तो जातक के पुत्र और मां पर प्रतिकूल असर पडता है।

उपाय:
(1) कान में सोना पहनें। दूध में सोना बुझाकर दूध पियें। धार्मिक स्थलों की यात्रा करें। ये उपाय न केवल 12वें भाव के चन्द्र के दुष्प्रभाव को दूर करते बल्कि चौथे भाव के केतू के दुष्प्रभाव को भी दूर करते हैं।
(2) धार्मिक साधु-संतों को कभी भी दूध और भोजन न दें।
(3) स्कूल, कॉलेज या अन्य कोई शैक्षणिक संस्थान न खोलें और निःशुल्क शिक्षा पाने वाले बच्चों की मदद न करें।

यह भी पढ़ें : 

जानिये ज्योतिष में चन्द्र ग्रह का महत्त्व

क्या है फल शनि और चन्द्र की युति का

चन्द्र के साथ राहु केतु या शनिदेव की युति

चन्द्र का पांचवें भाव में फल

Leave a Comment