जिन वृक्षों में से दूध वाले वृक्ष हैं सभी चन्द्र के कारण उत्पन्न हैं। चन्द्रमा बीज, औषधि, जल, मोती, दूध, अश्व और मन पर राज करता है। लोगों की बेचैनी और शांति का कारण भी चन्द्रमा है।
चन्द्रमा माता का सूचक और मन का कारक है। कुंडली में चन्द्र के अशुभ होने पर मन और माता पर प्रभाव पड़ता है।
चन्द्रमा पूर्णिमा को जाग्रत रहता हैं, और अमावस्या को अस्त ।
चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है इसलिए हर व्यक्ति का चन्द्र अच्छा होना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा व्यक्ति भावशून्य और जड़बुद्धि होता है | चन्द्र यदि कुंडली में 6, 8, 12वें स्थान में हो तो दुर्बल होता है | इस स्थिति में जुकाम, सर्दी, खांसी होना स्वाभाविक है | जैसे जैसे जातक बड़ा होता है ये बीमारियाँ भी बढती जाती हैं और बाद में जुकाम नजला बन जाता है | व्यक्ति की सोचने की क्षमता पर फर्क पड़ता है |
ज्वार भाटा भी चंद्र की स्थिति अनुसार ही आता हैं, वैसे ही इंसान के मन मैं भी कई प्रकार के हजारो विचार उथल पुथल होते रहते हैं, जिसके कारक चंद्र देव ही होते हैं ।
चन्द्रमा की शुभता से एक और गजकेसरी योग, महालक्ष्मी योग बनता हैं, वंही दूसरी और केमुद्रम योग, विष योग और ग्रहण योग जैसे योग भी बनते हैं ।
किसी एक इंसान के निर्णय लेने की शक्ति मजबूत रहती वंही दूसरी ओर एक इंसान कई दिनों तक कोई निर्णय ही नही ले पाता । ये सब चन्द्रमा की स्थिति पर निभर्र रहता है।
जब चंद्रमा के साथ राहू की युक्ति हो रही हो तो ऐसी अवस्था को चंद्र दोष माना जाता है। इसी अवस्था को चंद्र ग्रहण भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस अवस्था में चंद्रमा पीड़ित जाता है और चंद्रमा चूंकि मन का कारक है इसलिये मन में भी विकार पैदा होने लगते हैं।
इसके अलावा भी कुछ और अवस्थाएं हैं जिनमें चंद्र दोष होता है।
जब चंद्रमा पर राहू की दृष्टि पड़ रही हो तो यह भी चंद्र दोष कहलाता है या फिर चंद्रमा केतु के साथ युक्ति संबंध कर रहा हो तो उसे भी चंद्र दोष माना जाता है।
चंद्रमा यदि नीच राशि का याने वृश्चिक राशि का हो या फिर नीच ग्रह, अशुभ ग्रह या कहें पाप ग्रहों के साथ हो तो भी चंद्र दोष होता है।
जब राहू और केतु के बीच में चंद्रमा हो तो इसे भी चंद्र दोष कहते हैं। चंद्रमा पर किसी भी क्रूर ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो उससे भी चंद्र दोष होता है। जब सूर्य और चंद्रमा एक साथ हों यानि अमावस्या को भी चंद्र दोष कहा जाता है।
इसके अलावा चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश स्थान पर सूर्य, राहू और केतु के अलावा कोई भी ग्रह न हो तो यह भी चंद्रमा को पीड़ित करता है।
शरीर का बायां अंग, बायीं आंख, स्त्रियों में मासिक धर्म, रक्त संचार इन पर चन्द्र का प्रभाव रहता है. मन, दया की भावना, आकांक्षाएं चन्द्रमा द्वारा संचालित होते हैं.जिनकी जन्म पत्रिका में चन्द्रमा मंदा या कमज़ोर होता है उनमें दया की भावना का अभाव होता हैं ।ये दूसरों की उन्नति देखकर उदास होते हैं. मन में अहंकार की भावना रहती है.इनकी माता को एवं स्वयं को कष्ट उठाना पड़ता है. पैतृक सम्पत्ति को संभालकर नहीं रख पाता है.जिस स्त्री की कुंडली में चन्द्रमा कमज़ोर होता है उन्हें मासिक चक्र में परेशानी होती है।
सफेद और स्लेटी रंग चंद्रमा का प्रतीक होते हैं इसके अलावा चमकीला नीला, हरा और गुलाबी रंग, आसमानी रंग भी लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।
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