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श्रीहरि भगवान श्री विष्णु के मोहिनी अवतार की कथा

Written by Bhakti Pravah

हिन्दू भगवान विष्णु का एकमात्र स्त्री रूप अवतार है। इसमें उन्हें ऐसे स्त्री रूप में दिखाया गया है जो सभी को मोहित कर ले। उसके प्रेम में वशीभूत होकर कोई भी सब भूल जाता है, चाहे वह भगवान शिव ही क्यों न हों। इस अवतार का उल्लेख महाभारत में भी आता है।

समुद्र मंथन के समय जब देवताओं व असुरों को सागर से अमृत मिल चुका था, तब देवताओं को यह डर था कि असुर कहीं अमृत पीकर अमर न हो जायें। तब वे भगवान विष्णु के पास गये व प्रार्थना की कि ऐसा होने से रोकें। तब भगवान विष्णु ने मोहिणि अवतार लेकर अमृत देवताओं को पिलाया व असुरों को मोहित कर अमर होने से रोका।

कई विभिन्न कथाओं के अनुसार मोहिनी रूप के विवाह का प्रसंग भी आया है, जिसमें शिव से विवाह व विहार का विशेष विवरण आता है। इसके अलावा भस्मासुर प्रसंग भी प्रसिद्ध है

मोहिनी और भस्मासुर की कथा :-

कई हिंदू पौराणिक कथाओं का जन्म देवताओं व असुरों की शत्रुता से हुआ है। असुर बहुत निर्दई व क्रूर होते हैं तथा इनका काम धरती पर बुराई फैलाना है। इनका वध करने के लिए देवताओं को भिन्न रूप धारण करना पड़ता है। अतः भस्मासुर की कहानी भी कुछ इसी प्रकार की है।

भस्मासुर भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। वरदान प्राप्त करने के लिए उन्होंने शिव की तपस्या आरंभ की। उसकी तपस्या से खुश होकर, महादेव ने भस्मासुर को अपनी इच्छा व्यक्त करने के लिए कहा। भस्मासुर ने अमरत्व का वरदान मांगा। ऐसी असंभव कामना को सुनकर भगवान शिव ने उन्हें कोई और वरदान मांगने के लिए कहा। तब भस्मासुर ने भगवान शिव से यह वरदान मांगा कि वह जिसके भी सर पर अपनी तर्जनी रखेगा वह वहीं जल कर भस्म हो जाए।

वरदान की प्राप्ति पर भस्मासुर बहुत खुश हुआ तथा उसने इस वरदान का परीक्षण खुद महादेव पर करने का फैसला किया। देवी पार्वती को पाने के लिए भस्मासुर भगवान शिव को भस्म करना चाहता था। इस प्रयास में, भस्मासुर जैसी ही भगवान शिव के सर पर अपनी तर्जनी रखने जाता है, भगवान शिव गायब हो जाते हैं। इसके बाद, भस्मासुर महादेव का पीछा करने लगता है तथा जहां-कहीं भी महादेव पहुंचते हैं भस्मासुर उनके पीछे-पीछे वहीं पहुंच जाता था। स्वयं द्वारा उत्पन्न की गई समस्या से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव विष्णु के निवास स्थान पर पहुंचते हैं।

महादेव की समस्या को सुनने के बाद, भगवान विष्णु उनकी मदद करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस समस्या को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण करके भस्मासुर के सामने प्रकट होते हैं। भस्मासुर मोहिनी की खूबसूरती की ओर आकर्षित हो जाता है तथा उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखता है।

मोहिनी विवाह करने के लिए भस्मासुर के सामने नृत्य कला को सीखने की शर्त रखती है। भस्मासुर इस शर्त को मान लेता है तथा मोहिनी द्वारा सिखाई जाने वाली नृत्य कला पर पैर थिरकाने आरंभ करता है। नृत्य के दौरान, मोहिनी एक ऐसी मुद्रा सिखाती है जहां उसकी तर्जनी उसके सर को छूती है। अपने वर से अनजान होकर, जैसे ही भस्मासुर उस मुद्रा को पूर्ण करने के लिए जाता है वह जलकर राख हो जाता है। इस तरह भस्मासुर का अंत हो जाता है।

हालांकि इस कहानी के थोडे से अलग संस्करण भी मौजूद हैं लेकिन उनको पढने पर कहानी के मूल में कोई अंतर नज़र नहीं आएगा। इस कहानी से हमें यह बात समझ में आती है कि कुछ लोगों की मौत का कारण उनके खुद के द्वारा प्राप्त किए गए वरदान थे। जब वे अपने वरदान का गलत इस्तेमाल करना आरंभ करते हैं तो देवताओं को उन्हें नष्ट करने के लिए एक अलग रूप लेना पडता है।

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