त्यौहार-व्रत

अहोई अष्टमी/सप्तमी कब और किस लिए मनाई जाती है

Written by Bhakti Pravah
हर साल कार्तिक महीने की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाएं अपने बच्चों की सेहत के साथ उनकी दीर्घायु की कामना में रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि पूरे दिन निर्जला व्रत रखने से माता अहोई का आशीर्वाद मिलता है और घर में समृद्धि के साथ बच्चों की सेहत भी अच्छी बनी रहती है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। माताएँ अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय होई का पूजन किया जाता है। तारों को करवा से अर्घ्य भी दिया जाता है। यह होई गेरु आदि के द्वारा भीत पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर होई काढकर पूजा के समय उसे भीत पर टांग दिया जाता है।
इस बार, अहोई अष्टमी, रवि पुष्य योग के दुर्लभ संयोग में, रविवार, 5 नवंबर को मनाई जाएगी।
अष्टमी तिथि का समय : 05 नवंबर, दोपहर 1:00 बजे से शुरू होकर 06 नवंबर, सुबह 3:18 बजे तक
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त : 05 नवंबर शाम 5:42 बजे से शुरू होकर 05 नवंबर शाम 7:00 बजे तक.
तारों को देखने का समय : शाम 05:58 (5 नवंबर 2023)
जिनको अहोई सप्तमी का व्रत रखना है, वह 4 नवम्बर, शनिवार को व्रत रख सकती हैं, सभी महिलाओं को उनकी संतान की सुरक्षा और बेहतर जीवन के लिए शुभ कामनाएं !
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