वास्तु

घर में रसोई घर वास्तु के अनुसार कैसा होना चाहिए

Written by Bhakti Pravah

भवन में रसोई घर वास्तु सम्मत होना चाहिए। रसोई घर में वास्तु के सिद्धांतो को अपनाकर निश्चय ही निरोगिता और घर के सदस्यों में प्रेम और सौह्र्द्य प्राप्त होता है।

1. वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन में रसोईघर का आग्नेय दिशा ( दक्षिण-पूर्व दिशा ) में होना बहुत शुभ होता है। लेकिन किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो रसोई घर का निर्माण पश्चिम दिशा में किया जाना एक ओर विकल्प है। इन दिशाओं के बाद पूर्व या वायव्य दिशा ( उत्तर पश्चिम ) और अंत में दक्षिण दिशा को वरीयता दी जाती है। यदि भोजन करने की व्यवस्था भी रसोई घर में ही हो तो यह रसोई के पश्चिम दिशा में होनी चाहिए

2. रसोईघर का प्रवेशद्वार दक्षिण एवं आग्नेय दिशा में नहीं बनाना चाहिए, पूर्व ईशान और उत्तर की तरफ रसोई का प्रवेश द्वार होना श्रेष्ठ होता है ।

3. रसोई घर में इस बात का अवश्य ही ध्यान रहे कि खाना बनाने का चूल्हा आग्नेय कोण में ही होना चाहिए

4. चूल्हा ईशान कोण या उत्तर में भूलकर भी ना रखे । ईशान कोण में चूल्हा होने से संतान पर बुरा प्रभाव पड़ता है , धन हानि के साथ अपयश का सामना भी करना पड़ सकता है और उत्तर दिशा में जो कि कुबेर की दिशा है चूल्हा रखने से तमाम प्रयास के बाद भी जीवन में असफलता ही हाथ लगती है, राजा भी रंक हो सकता है ।

5. रसोई घर में खाना बनाने का चूल्हा दीवार से 2 -3 इंच की दूरी बनकर रखना चाहिए दीवार से सटा कर नहीं।

6. भोजन बनाने वाली ग्रहणी का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। घर में भोजन बनाने वाली महिला को रसोई घर में कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है ।

7. वास्तु के अनुसार रसोई घर की कोई भी दिवार शौचालय के साथ नहीं लगी होनी चाहिए और रसोईघर, शौचालय या बाथरूम के ऊपर या नीचे भी नहीं होना चाहिए।

8. रसोई घर में नल उत्तर की तरफ ही होना चाहिए । इसके अलावा पीने का पानी, एक्वागार्ड, फिल्टर आदि भी ईशान या उत्तर में ही रखना चाहिए, लेकिन अग्नेय, दक्षिण और नैत्रत्य में जल सम्बन्धी कार्य बिलकुल भी नहीं करना चाहिए ।

9. रसोई घर को बहुत पाक-साफ रखना चाहिए। रसोईघर में जूठे बर्तन साफ करने के लिए सिंक उत्तर या पूर्व की तरफ ही बनाना चाहिए । जूठे बर्तनों को बहुत देर तक रसोई घर में नहीं रखना चाहिए इससे नकारात्मक उर्जा का वास होता है। मान्यता है कि जिस भवन में रात में खाना बनाने के बाद चूल्हा साफ कर दिया जाता है और रसोई घर में कोई भी झूठे बर्तन नहीं रहते है वहाँ पर माँ अन्नपूर्णा की सदैव कृपा बनी रहती है ।

10. गैस चूल्हा और सिंक के बीच दूरी होनी चाहिए या फिर बीच में छोटी लकड़ी या अन्य किसी चीज की दीवार बना दें। क्योंकि इन दोनों के पास में होने से घर के नौकर ज्यादा दिन टिक नहीं पाते है।

11. रसोईघर में वजनदार डिब्बे रखने के लिए टांड या अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में बनानी चाहिए।

12. रसोई घर में अन्न के बर्तन / डिब्बे वायव्य कोण अर्थात उत्तर पश्चिम में रखने चाहिए इससे घर में कभी भी धन का आभाव नहीं रहता है ।

13. रसोईघर में इलेक्ट्रॉनिक् उपकरण जैसे फ्रिज, टोस्टर, माइक्रोवेव, मिक्सी, आटा चक्की आदि दक्षिण दीवार, अग्नेय, पश्चिम दीवार के पास रखने चाहिए, लेकिन नैत्रत्य में नहीं, क्योंकि इस दिशा में रखने पर यह ज्यादातर ख़राब ही रहते है ।

14. वैसे तो रसोई घर में रेफ्रिजरेटर रखना उचित नहीं होता है किन्तु यदि रखना आवश्यक हो तो इसे दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही रखें।

15. रसोई घर में खिड़कियाँ और हवा वाहर फेखने वाला पंखा एक्जास्ट फैन पूर्व अथवा उत्तर दिशा होना चाहिए।

16. रसोई में कभी भी बिना नहाये अथवा बिना हाथ पैर धोये प्रथम बार प्रवेश न करे , यानी प्रात उठ कर अगर आपको रसोई में कुछ काम है तो सबसे पहले आप नहा कर या हाथ पैर धो कर ही रसोई में प्रवेश करे । बिना स्नान किये भोजन बनाने से भोजन अपवित्र हो जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद नहीं रहता है। इसलिए भोजन को स्नान व ध्यान करके खुशी मन से बनाना चाहिए।

17. भवन का मालिक या मालकिन बिना नहाये अथवा बिना हाथ पैर धोये रसोई में बिलकुल न जाए , अन्यथा राहू और शनि से पीड़ा मिलती है, लेकिन रसोई घर में स्वच्छ होकर जाने से उनका प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है ।

18. भोजन करते समय पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ मुख करके भोजन करना चाहिए। दक्षिण में मुख करके भोजन करने से यथासंभव बचना चाहिए । भोजन को करने से पूर्व अपने इष्ट देव को भोग अवश्य लगायें तथा रसोई में बनने वाली पहली 3 रोटियाँ गाय, चिड़ियों और कुत्ते के लिए निकालनी चाहिए, इसके बाद भी वहाँ के निवासियों को भोजन करना चाहिए ।ऐसा करने से कभी भी आपके घर में दरिद्रता नहीं आयेगी और बच्चे, जवान व वृद्ध सभी स्वस्थ्य रहेंगे।

19. रसोई घर में मंदिर / पूजा का स्थान बिलकुल भी नहीं होना चाहिए.अन्यथा देवता नाराज़ हो जाते है, घर के सदस्यों को रोग एवं दरिद्रता का सामना करना पड़ता है

20. रसोई घर साफ सुधरी होनी चाहिए अस्त व्यस्त नहीं । फैली हुई रसोई वहाँ के निवासियों के लिए नाना प्रकार की मुसीबतें लाती है। अगर हमारे भवन की रसोई अच्छी है तो हमारे शनि , रहू , केतु , और गुरु अच्छे रहते है ।रसोई घर मंदिर की तरह साफ और पवित्र होना चाहिए अत: इस बात का ध्यान रखें कि उसमें कोई भी जूते चप्पल पहन कर प्रवेश ना करें कम से कम घर का मालिक या मालकिन तो इसका पालन अवश्य ही करें ।

Leave a Comment