छोटे छोटे उपाय

आदतें जो नहीं रहने देतीं खुश

Written by Bhakti Pravah

कुछ लोग होते हैं, जिन्हें लगता है कि जीवन में खुशी है ही नहीं। बेचैनी रहती है कि सब जल्दी से ठीक हो जाए, पर घबराहट में कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन्हें खुशी से दूर ले जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो जानें कौन सी बातें हैं जो दुख का कारण हो सकती हैं :

समय व्यर्थ करना
घंटों टीवी देखने, वीडियो गेम्स खेलने, सोशल साइट्स खंगालते रहने में भले ही आपको उपलब्धि महसूस होती हो, पर इसमें समय भी नष्ट होता है। कौन दोस्त क्या पहन और खा रहा है ये देखते रहना, टीवी के सामने बैठे-बैठे खाना और फिर वहीं सो जाना, घंटों फोन पर चुगली व गॉसिप करते रहना आदि काम आपके जरूरी समय को बेकार में जाया कर देते हैं।

खराब का आकर्षण
सकारात्मक चीजों या बातों से भागना, सही पक्ष को देखने की कोशिश न करना। केवल कमियां देखना, गुण नहीं। हर सुझाव, सलाह और कार्य में खराबी देखना, अपने अभावों और बुरी बातों के लिए खुद को कोसते रहना। ऐसी बातों की लंबी लिस्ट है, जो आपको आगे बढ़ने से रोक देती है।

तुरंत आपा खोना
बार-बार क्रोध करने की आदत केवल दूसरों को नहीं आपको भी दुखी करती है। पर आप हैं कि उसे अपना हथियार मान लेते हैं। दूसरों की सुने बिना अपनी ही अपनी कहते रहते हैं। जो मन में आया बोल दिया। दूसरों की उपेक्षा और उन्हें नीचा दिखाने में जीत का अनुभव अंतत: आपको सबसे दूर कर देता है।

खुद को प्यार न करना
दूसरों में ही नहीं, खुद में भी बस कमियां ही कमियां देखना। शीशे में अपना चेहरा देखकर दुखी रहना। खुद पर विश्वास न करना। इतने ऊंचे मानक बना लेना कि काम को 100% सफलता न मिलने पर उसे अपनी हार मान लेना। याद रखें कि खुद को गलतियां करने की छूट न देना कुछ नया नहीं सीखने देता।

शिकायत करना
बीते समय में किसी ने आपके साथ क्या बुरा किया, खुद को उसे भूलने ना देना। दूसरे को माफ करने जैसी बातों के बारे में सोचना तक नहीं, हर बात को अपने ऊपर कटाक्ष मानकर दुखी होना, प्रतिशोध में जलते रहना।

अकेले रहना
कहीं आपका अहं आपको दूसरों से जुड़ने से रोक तो नहीं रहा! किसी से असहमति होने पर यदि आप उससे हमेशा के लिए छोड़ देते हैं तो यह अकेलेपन की ओर ही ले जाएगा। नए लोगों से न मिलना और कुछ नहीं अपने सपोर्ट सिस्टम को कम करना है।

जिम्मेदारी से भागना
दूसरों के सहारे अपने काम सिद्ध करना, झूठ बोलना, दूसरों को धोखा देना। केवल अपना फायदा ही सोचना। अपने जीवन की जिम्मेदारी न लेना।अपनी गलतियों से कोई सबक सीखने की कोशिश न करना। हर चीज से बस बचकर निकलना और इस बात का इंतजार करना कि कोई और आपको खुशी देगा, व्यर्थ की कल्पना है।
अंत में, यदि आप वाकई दुखी होना नहीं चाहते तो ऊपर लिखी बातों से बचें, क्योंकि हम दो बातों से ही सीखते हैं-एक क्या और कैसे करना है और दूसरा क्या नहीं करना है।

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