अध्यात्म त्यौहार-व्रत

अक्षय तृतीया पर इस तरह करें पूजा

Akshay Tritya
Written by Bhakti Pravah

अक्षय तृतीया का पर्व इस साल 28 अप्रैल को मनाया जाएगा।

अक्षय तृतीया के दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। आम दिनों में किसी कार्य को शुरू करने से पहले लोग पंचाग देखते हैं। लेकिन अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त विचारे आप कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, निर्माण, यज्ञ, दान, स्वर्ण या संपत्ति की खरीदारी, आदि कर सकते है। अक्षय का मतलब है जिसका क्षय ना हो अथवा जो कभी नष्ट ना हो। अक्षय तृतीया पर भारतीय पौराणिक काल की बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई हैं जो इस तिथि की महत्ता को और भी बढ़ता हैं। जैन समुदाय के लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इसलिए अक्षय तृतीया को वह परशुराम जयंती के रूप में मनाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान गणेश और ऋषि वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत लिखने की शुरूआत भी इसी दिन की थी।

इसके अलावा य​ह भी कहा जाता है कि त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस दिन किए गए दान पुण्य का विशेष महत्व होता है।इस दिन लोग धन की देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं ताकि मां लक्ष्मी की उनपर विशेष कृपा उनपर हमेशा बनी रहे। कई लोग इस दिन गंगा में स्नान के लिए भी जाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन किए गए व्रत और पूजा का भी अपना अलग महत्च होता है। तो आप भी अक्षय तृतीया पर व्रत रखकर भगवान को प्रसन्न कर सुख व समृद्धि पा सकते हैं।

अक्षय तृतीया व्रत विधि और कथा:

दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई, स्नान आदि करें। इसके बाद पूजा स्थान पर विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र को साफ और स्वच्छ स्थान पर स्थापित कर पूजन शुरू करें। सबसे पहले भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद फूलों की माला चढ़ाएं। भगवान विष्णु को पूजा में जौ, चावल आैर चने की दाल अर्पित करें। इसके बाद विष्णु की कथा आैर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद भगवान को भोग लगाएं आैर प्रसाद को सभी भक्तों में बांटकर स्वयं भी ग्रहण करें।

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