गीता ज्ञान

व्यक्ति का वर्गीकरण मुख्यता ४ प्रकार का बताया है

Written by Bhakti Pravah

व्यक्ति का वर्गीकरण मुख्यता ४ प्रकार का बताया है !

१.भ्रामन २.शुद्र ३.वेश्य ४. शत्रिय, और चार ही प्रकार के व्यक्ति या कहें तो ४ प्रकार की प्रकति के लोग इस पृथ्वी पर मौजूद है !हमें इस वर्गीकरण को किसी जाती या धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए ,

१.जिसे ज्ञान की खोज वो ज्ञानी ,भ्रामन प्रकति के व्यक्ति होते हैं उनेह धन संग्रह ,सेवा भाव ,शक्ति प्रदशन से कोई अर्थ नहीं होता है ,वह तो बस ज्ञान की खोज और ज्ञान प्राप्ति में लीन रहेते हैं ! मुख्य उद्धरण :-अल्बर्ट आइंस्टीन ,थॉमस अल्वा एडिसन ,जगदीश चन्द्र बासु अदि !

२.जिसमे सेवा भाव मुख्यता पाया जाता है वैह शुद्र प्रकति के व्यक्ति होते हैं ,उनेह सेवा से बढकर संसार में कुछ अर्थ का नहीं अनुभव होता !मुख्या उद्धरण मदर टेरेस्सा,एनी बेसंट ,नेल्सन मंडेला ,अदि

३,जिसमे व्यपार करने और धन संग्रह की प्रबल कामना होती है वैह वेश्य प्रकति के व्यक्ति होते हैं !,मुख्य उद्धरण बिल गेट्स ,धीरू भाई अम्बानी ,रतन टाटा अदि !

४.जिसमे शक्ति की वृद्धि ,पर्दशन करने की शमता या प्रबल कामना होती है वैह शत्रिय प्रकति के व्यक्ति होते हैं ,इनेह शक्ति का प्रदशन करना लड़ना मरना और शक्ति की वृद्धि करना ही इनका मुख्यता रुझान होता है !मुख्य उद्धरण :-अड्लोफ़ हिटलर ,सिकंदर ,सम्राट अशोक,सेना के सैनिक adi

ये व्यक्ति किसी भी कुल जाती या धर्म में जनम ले सकते हैं ,भेद भाव की स्तिथि एक दुसरे को नीचा दिखने के कारण पैदा हुई,व्यक्ति जिस प्रकति का है उस से भिन्न या दूसरी प्रकति के अनुरूप कार्य करता है , यदि व्यक्ति अपनी प्रकति ठीक प्रकार से समझ ले तो अधिक सफलता और समाज में शांति का सन्देश पंहुचा सकता है !समाज में सभी प्रकार की प्रकति के व्यक्तिओं की सामान मात्र में जरुरत है तभी समाज संपन्न होता है !
जय श्री कृष्णा!

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