आरती

कुंडली मिलान में तत्वों का मिलान कितना आवश्यक

Written by Bhakti Pravah

।।कुंडली मिलान में तत्वों का मिलान कितना आवश्यक।।
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तत्व- 1-अग्नि 2-प्रथ्वी 3-वायु 4-जल

आकाश तत्व सभी तत्वों मे सम्मिलित है।
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तत्व- same- मित्र सम शत्रु

अग्नि- अग्नि- जल- प्रथ्वी – वायु

प्रथ्वी – प्रथ्वी -वायु – जल,अग्नि- no

वायु – वायु – प्रथ्वी – जल -अग्नि

जल – जल – अग्नि-प्रथ्वी – वायु
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।।राशियों के तत्व।।
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अग्नि – 1 , 5 , 9 -सूर्य , मंगल
प्रथ्वी – 2 , 6 , 10 – बुध
वायु – 3 ,7 , 11 – शनि
जल – 4 , 8 , 12 – चंद्र , शुक्र
आकाश – गुरु।
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प्राचीन पद्धति के अनुसार एक ही तत्व सर्वोत्तम -मित्र तत्व उत्तम सम तत्व सामान्य व शत्रु तत्व विरोध के सूचक हैं।
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1-अग्नि तत्व पुरुष व अग्नि तत्व स्त्री-
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दोनों पित्त प्रकृति अर्थात क्रोधी होते हैं।फलस्वरूप वातावरण अशान्त रहता है।किन्तु दोनों ही एक तत्व होने के कारण परस्पर मैत्री पूर्ण संबंध, दाम्पत्य भाव सामान्य एवं मधुर, स्वास्थ्य बाधित ।

2 – अग्नि (पुरुष) एवं प्रथ्वी (स्त्री )-
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पुरुष पित्त प्रकृति अर्थात क्रोधी स्वभाव वाला स्त्री प्रथ्वी तत्व होने के कारणसहिष्णु
क्षमाशील एवं धैर्यशाली होती है, फलतः घर में बार बार कलह नहीहोता।कभीकभीअग्नि तत्व का प्रभाव बढ़ने परस्त्रीएकाएक भड़क उठती है, जो सहज ही नियंत्रित हो जाती है, इसप्रकार दाम्पत्य भाव सम , दोनों का स्वास्थ्य सामान्य रहता है।

3- अग्नि (पुरुष) एवं वायु (स्त्री )-
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पुरुष पित्त प्रकृति का अर्थात क्रोधी स्त्री वायु तत्व के कारण अधिक बोलने वाली , और इसी कारण पति के क्रोधवृद्घि में सहायक होती है।सदा विरोध का वातावरण, दाम्पत्य जीवन दुःखी एवं पति का स्स्वास्थ्य बाधित।

4 -अग्नि (पुरुष) एवं जल (स्त्री)-
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पुरुष क्रोधी किंतु स्त्री ठंढे विचार की ।स्त्री अपने स्वभाव के शीतलता के कारण पुरुष
के क्रोध को नियंत्रित करती है।पत्नी के शांत , स्थिर या विकृत होने पर पुरुष उत्तेजना एवं शक्ति प्रदान करता है।

5- प्रथ्वी (पुरुष) एवं अग्नि (स्त्री)-
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पुरुष क्षमाशील, सहिष्णु एवं धैर्यवान।स्त्री क्रोधी ।पुरुष अपने सहिष्णु स्वभाव के कारण स्त्री के क्रोध का संवरण करता है इसलिए आपस में सदा विरोध नही रहता किंतु प्रथ्वी को अधिक देर तक गर्म रखने से उसमें भी गर्मी आ जाती है अतः अग्नि तत्व की वृद्धि होने पर पुरुष भी एकाएक भड़क उठता है, जो सहज ही नियंत्रित नही हो पाता ।स्वास्थ्य सामान्य।

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