हिन्दु कैलेण्डर में ज्येस्ट मास में पड़ने वाली अमास्या को ही ज्येस्ट अमास्या कहा जाता है और महीने में नये चन्द्रमा के दिन को अमावस्या कहते हैं। यह एक महत्वपूर्ण दिन होता है क्योंकि कई धार्मिक कृत्य केवल अमावस्या तिथि के दिन ही किये जाते हैं।
अमावस्या जब सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं और अमावस्या जब शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनि अमावस्या कहते हैं।
पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त हैं। कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने के लिए भी अमावस्या का दिन उपयुक्त होता है।
अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा और 7 परिक्रमा करके काले तिल से युक्त सरसों के तेल के दीपक को जलाकर छायादान करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के पूजन से शनि पीड़ा से व्यक्ति मुक्त हो जाता है।
श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिल जाती है।
Leave a Comment