धर्मग्रंथों में दान के चार प्रकार बताए गए हैं –
1. नित्यदान- किसी के परोपकार की भावना और किसी फल की इच्छा न रखकर यह दान दिया जाता है।
2. नैमित्तिक दान- अपने पापों की शांति के लिए विद्वान ब्राह्मणों के हाथों पर यह दान रखा जाता है।
3. काम्य दान- संतान, जीत, सुख-समृद्धि और स्वर्ग प्राप्त करने की इच्छा से यह दान दिया जाता है।
4. विमल दान- जो दान ईश्वर की प्रसन्नता के लिए दिया जाता है।
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