जब भगवतप्राप्ति के मार्ग पर आगे बडते हैं तो शुरु-शुरु में एक साथ कई प्रकार की बाधाएँ साधकों के सामने आती हुई दिखाई देती हैं। या ऐसा लगे कि जब से भगवान का नाम लेना चालू किया है तब से बाधाएँ शुरु हो गयीं। ऐसा लग सकता है क्योकि बाधाएँ आने के कई कारण होते हैं। कई बार हम यह भी देखते है जो नहीं होना चाहिए वो भी होने लगता है
इन् सभी के मुख्या कारण तो ये है कि आपके पूर्वजन्मों के संचित पापकर्म एकदम समाप्त होने लगते हैं, जाते-जाते अपना आंशिक असर छौड जाते हैं जिसके फलस्वरूप बाधाएं या प्रतिकूल परिस्थिति एकदम पैदा होती है। इन बाधाओं के द्वारा तो पूर्वजन्म कृत पापकर्मों का क्षय होता हैं। क्योकि भगवान के भजन से सब प्रकार की शुद्धि होती है।
शुद्धि हेतु पापकर्म का कम होना स्वाभाविक है। जिन पापकर्मों का बडा भयानक फल मिलना था लेकिन भगवान के भजन से वो पापकर्म आंशिक या बहुत कम फल देकर हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।इस तरह भगवान का नाम लेने वाला हर साधक पाप मुक्त हो जाता है। अतः सतत भगवन्नामस्मरण करते रहें।
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