जैसा की हम सब जानते है हिमालय हमारे देश का आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का भंडार है, यहाँ से हमें कई प्रकार की प्राकर्तिक ओषधियाँ और जड़ी बूटियां प्राप्त होती है, जिसकी वजह से हमारा देश आयुर्वेद के मामले में बहुत उच्च स्थान पर है आज चर्चा करेंगे जटामासी के बारें में, ये 6-7 इंच तक लम्बे आकृति में होती है, यह हमे जड़ के रूप में और फूल के रूप में प्राप्त होती है , यह हमारे शरीर के लिए किस तरह से फायदेमंद है आइये जानते है
तेज दिमाग : यह दिमाग को तेज करने के लिए एक रामबाण औषधि है, एक चम्मच जटामांसी को एक कप दूध में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।
रक्तचाप : यह एक ऐसे औषधीय गुणों से भरी जड़ीबूटी है जिसका एक चम्मच जटामांसी में शहद मिलाकर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
अनिद्रा : ये धीरे लेकिन बहुत ही प्रभावशाली ढंग से काम करती है। अनिद्रा की समस्या होने पर सोने से एक घंटा पूर्व एक चम्मच जटामांसी की जड़ का चूर्ण ताजे पानी के साथ लेने से अनिंद्रा के रोग में लाभ होता है।
सूजन और दर्द : कई बार लोगों के शरीर में सूजन और दर्द से परेशानी रहती है इसलिए इसका चूर्ण को प्रभावित भाग पर लेप करें। ऐसा करने से दर्द और सूजन दोनों से राहत मिलेगी।
दांतों का दर्द : यदि किसी भी व्यक्ति के दांतों में दर्द रहता है तो इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर मंजन करें। ऐसा करने से दांत के दर्द के साथ- साथ मसूढ़ों के दर्द, सूजन, दांतों से खून, मुंह से बदबू जैसी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
पेट में दर्द : जटामांसी और मिश्री समान मात्रा में लेकर उसका एक चौथाई भाग सौंफ, सौंठ और दालचीनी मिलाकर चूर्ण बनाएं और दिन में दो बार 4 से 5 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करें। ऐसा करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
नोट : कृपया कर इसका सेवन उचित मात्र में ही करें, यह एक आयुर्वेद औषधि होने के कारण इसका अत्यधिक सेवन करना, स्वस्थ्य के लिए तकलीफ दायक हो सकता है
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