बीमार होने पर हमें चिकित्सक के पास जाना पड़ता है। चिकित्सक के सलाह से हम दवाईयां लेते हैं और फिर से स्वस्थ हो जाते हैं। जब हमें चिकित्सक के पास जाना पड़े तो हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। चिकित्सक को हमें क्या बताना है, इसकी तैयारी पहले घर से ही करके चलें। वहां सोचने में अपना और उनका कीमती समय बर्बाद न करें :
– बीमार के बारे में जो कुछ पूछना हो, उसे एक कागज पर नोट कर लें।
– साधारण खासी जुकाम छोड़ दें तो चिकित्सक के पास कभी अकेले न जाये क्योंकि बीमार व्यक्ति हर बात को ठीक से समझ पाए यह आवश्यक नहीं .
– अपने पास पेन और कागज अवश्य रखें ताकि चिकित्सक द्वार दी गयी हिदायतों को नोट कर सकें और परहेज आदि के बारे में जानकारी लिख सकें।
– चिकित्सक को अवश्य बतायें कि कब से आप बीमार हैं या चिकित्सक बदल रहे हैं तो पुरानी दवा के सभी कागज, लेबोरेटरी टेस्ट की सभी रिपोर्ट साथ लेकर जायें।
– अपने चिकित्सक स्वयं न बनें : कोई भी दवा चाहे pain killers की गोलियां ही क्यों न हों, अपनी मर्जी से कभी न लें। इन दवाओं के भी साइड इफेक्ट होते हैं जिनके सम्बन्ध में हमें उचित जानकारी नहीं होती। एक ही प्रकार की दर्द निवारक गोली बार-बार लेने से उसका प्रभाव कम हो जाता है और कौन सी दवा कितने अंतराल में लेनी चाहिये, इस बारे में हमें पूरा ज्ञान नहीं होता।
कभी-कभी स्वयं अपने चिकित्सक बनने से नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। कोई भी विटामिन की गोलियां भी अपनी इच्छा से न लें। आपको इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि आपको कौन सा विटामिन कितने समय के लिये लेना है और आपके शरीर को कौन सा विटामिन चाहिये। डाक्टर की सलाह पर ही ऐसी दवाएं लें। अपनी इच्छा से अपने डाक्टर न बनें।
– चिकित्सक से पूरी तरह बीमारी के बारे में विचार-विमर्श करें जिससे डाक्टर को भी महसूस हो कि आपको उनकी मदद की कितनी आवश्यता है।
– चिकित्सक से संबंधित परहेज की भी पूरी जानकारी लें।
– यदि बीमारी कुछ बड़ी है तो भविष्य में होने वाले खतरों और परेशानियों के बारे में पूरी जानकारी लें।
– चिकित्सक का चुनाव सोच समझ कर करें ताकि वह आपको वक्त बेवक्त आवश्यकता पड़ने पर काम आ सके या फोन पर बात करने से न कतरायें।
– कोई भी जांच करवाने के बाद रिपोर्ट यदि ठीक नहीं है तो एकदम विचलित न हों। डाक्टर से पूरी जानकारी लें।
– रिपोर्ट दिखाने पर डाक्टर से यह जानकारी अवश्य लें कि बीमारी कौन सी अवस्था में है। क्या यह बीमारी क्योरेबल है या अनक्योरेबल।
– कोई भी दवा लेने के बाद आपको पुन: जांच कब करवानी है, उस बारे में सतर्क रहें। दवा कब तक चलनी है, इस बारे में डाक्टर को पूरा सहयोग दें।
– रोग का क्या कारण हो सकता है, अपने डाक्टर से पूछें।
– चिकित्सक से शर्माएं नहीं। सब कुछ विस्तार से बताएं।
चिकित्सक किस अवस्था में बदलें :-
कभी भी आप को प्रतीत हो कि काफी समय से इलाज करवाने के बाद भी आप अधिक लाभ महसूस नहीं कर रहे या चिकित्सक अब आपकी बीमारी को जबरदस्ती खींच रहे है। ऐसे में आप अपना चिकित्सक बेहिचक बदल सकते हैं। कभी-कभी आपको ऐसा महसूस होता है कि चिकित्सक आपकी बात पर अधिक ध्यान नहीं दे रहा है, फोन पर भी उसकी सेवा उचित ढंग से उपलब्ध नहीं है और चिकित्सक आपके रोगी को नजरअंदाज कर रहा है। ऐसे में चिकित्सक बदलना ही ठीक रहता है। चिकित्सक आपके पूछने पर भी आपको दवा के कुप्रभावों के बारे में कुछ जानकारी नहीं देता, आपके संशय को दूर करने का प्रयास नहीं करता, बार-बार पूछने पर गुस्से से झिड़कता है या फीस में बेवजह वृध्दि करता है तो ऐसे चिकित्सक से दूर रहना ही उचित है।
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