तरुण सागर जी • संत प्रवचन श्री तरुण सागर जी महाराज 2 10 years agoby Bhakti Pravah24 Views1 min read Written by Bhakti Pravah जिस प्रकार पशु को घास तथा मनुष्य को आहार के रूप में अन्न की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार भगवान को भावना की जरूरत होती है। प्रार्थना में उपयोग किए जा रहे शब्द महत्वपूर्ण नहीं बल्कि भक्त के भाव महत्वपूर्ण होते हैं। Facebook Twitter Pinterest Love This WhatsApp
Leave a Comment